Cyber space and cyber security and Cyber attacks

Protect Personal Information & Cyber security

उद्देश्य-

जैसा कि हम जानते हैं कि हमारी सारी जानकारी इंटरनेट पर कई रूपों में, कई तरह से, कई वेबसाइट, जैसे कि fb, whats up, twitter आदि में फैली हुई हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोई भी जानकारी सुरक्षित और संरक्षित नहीं है, यदि कोई भी निकाय चाहता है हमारी सभी जानकारियों का दुरुपयोग कर सकते है।इस पाठ में हमें पता चलेगा कि हम व्यक्तिगत सूचना संग्रहों को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं, व्यवस्थित कर सकते हैं और बनाए रख सकते हैं, और कई तरीकों से जानकारी का प्रबंधन कर सकते हैं।

इस संगोष्ठी में हम यह भी जानेंगे कि किस तरह से हमारे Information का दुरुपयोग किया जा सकता है और हम इसकी रक्षा कैसे करते हैं

इनफार्मेशन क्या होता है और कितने तरीके का होता है—

व्यक्तिगत जानकारी(Personal Information)-

व्यक्तिगत जानकारी डेटा का एक टुकड़ा है जो एक जीवित, पहचानने योग्य मानव से संबंधित है। लोगों के नाम, पता, टेलीफोन नंबर, आयु, स्वास्थ्य, वित्तीय और शैक्षिक जानकारी, और छात्रों की संख्या और कर्मचारी संख्या की तरह संख्या और प्रतीकों की पहचान करना।
व्यक्तिगत सूचना का प्रकार-‌

सार्वजनिक जानकारी(Public Information)-

सार्वजनिक सूचना वह सूचना है जिसका उपयोग हम सार्वजनिक रूप से कर सकते हैं।

आंतरिक जानकारी(Internal Information)-

आंतरिक जानकारी उस प्रकार की सूचनात्मक है जिसे हम कार्यालय, बैंक, स्कूल आदि में आंतरिक उपयोग के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

गोपनीय सूचना(Confidential Information)-

गोपनीय जानकारी उस प्रकार की जानकारी है जिसका उपयोग हम अपने आप से कर सकते हैं अर्थात हम किसी के साथ पासवर्ड, ओटीपी आदि साझा नहीं कर सकते।

Cyber space :-

दुनियाभर में फैले कंम्प्यूटर संचार नेटवर्क तथा उसके चारों ओर फैले सूचनाओं के भंडार (storage) को साइबर स्पेस का  नाम दिया जाता हैं।

साइबर स्पेस के खतरे(Cyberspace threats)–

KeyLoger—

यह एक स्पाईवेयर है जिससे हम कीबोर्ड के माध्यम से हम डाटा को चुरा सकते है/

Virus—

कंप्यूटर वायरस एक प्रोग्राम है जो किसी सिस्टम या फाइल को प्रभावित करते है यह नेटवर्क द्रारा या अन्य कंप्यूटर द्रारा प्रसारित होते है/

Identity Theft–

यह एक प्रकार का साइबर सिक्युरिटी खतरा है जिसमें सोशल मीडिया वेबसाइटों जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि से पीड़ितों की व्यक्तिगत जानकारी की चोरी करना और उपयोग करना शामिल है।

Spyware —

स्पाइवेयर और कीलॉगर, यूजर की इनफॉर्मेशन, पासवर्ड, ब्राउज़िंग हिस्ट्रीक इत्यादि इकट्ठा करते हैं, और फिर उन्हें अपने क्रिएटर (हैकर्स) तक पहुंचाते हैं, जो इस व्यक्तिगत जानकारी को थर्ड पार्टी को बेचता या वितरित कर सकते हैं। हैकर्स उस जानकारी का इस्तेमाल पीड़ित के बैंक अकाउंट से पैसे चुराने के लिए भी कर सकते हैं।

Adware–

Adware मैलवेयर का एक समूह है जो पॉप-अप को उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है। यदि यूजर उस अतिरिक्त सॉफ़्टवेयर को डाउनलोड करता है, तो वह आपके डेटा को या तो डिलिट कर सकता है या चोरी कर सकता है।

Phishing Emails–

फ़िशिंग ईमेल का उपयोग आमतौर पर यूजर को लालच देकर निजी जानकारी चुराने के लिए किया जाता है ।

Cyber Stalking–

ये एक प्रकार का cyber crime होता है जिसमें की victim को online harass किया जाता है किसी staker के द्वारा. ये प्रायतः social media में ज्यादा देखने को मिलता है जिसमें की ये stalkers online messages और emails के द्वारा victims को परेशान करते हैं. इसमें ये stalkers अक्सर छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं जिन्हें की internet की ज्यादा समझ नहीं होती है. और ये उनसे उनका physical address, photos, personal information प्राप्त कर बाद में उन्हें blackmail करते हैं/

Cyber Bullying क्या है–

साइबर बुलिंग का  दो शब्दो से मिलकर बना है जिसमे साइबर मतलब की इंटरनेट कम्पुयटर, मोबाइल टेक्नोलॉजी और बुलिंग का मतलब परेशान करना, भयभीत करना या डरा धमका कर काम करवाना। मतलब Social Media पर किसी को जानबूझकर परेशान या धमकाने वाले मैसेज , कमैंट्स  और Image  / Video  भेजकर किसी को जानबूझकर परेशान करना या धमकाने के लिए इंटरनेट या मोबाइल तकनीक का उपयोग करना। एक धमकाने वाला व्यक्ति दूसरों को धमकाने के लिए टेक्स्ट मैसेज, ईमेल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वेब पेज, चैट रूम आदि का उपयोग कर सकता है।

साइबर क्राइम को रोकने के उपाय–

Protect By Us–


(i) सबसे पहले हम कही पर भी पूरी सही इनफार्मेशन न शेयर करे/

(ii) फर्जी  नम्बर,  ईमेल, वेबसाइट को ब्लॉक कर दे/

(iii) फर्जी ऐप इनस्टॉल मत मत करे , ऐप इनस्टॉल करते वक्त परमिशन पर ध्यान दे/

(iii) उससे सम्बंधित संस्था को शिकायत करे/

(iv) फ़ोन या कंप्यूटर में पासवर्ड , एंटीवायरस , सेक़ुएरटी सेटिंग को हमेशा अपडेट करे/

Cyber Law —

आज हर कोई इंटरनेट के बारे में जानता है इंटरनेट ने एक ओर जहाँ हमारी Life को आसान बनाया है वही इसके बढ़ते अपराधों ने भी लोगों को कई हानि पहुँचाई है।इंटरनेट Website को Hack करने, Debit Card से लेन-देन में हेरफेर करने, Cyber Virus से System में छेड़छाड़ करने आदि कार्य Cyber Crime कहलाते है इन Crime को रोकने और उनकी सजा के लिए अंतराष्ट्रीय कानून प्रावधान बनाये गए है ऐसे प्रावधान Cyber Law के अंतर्गत आते है।

1. इसमें सबसे पहला step है की एक cyber crime complaint register करें वो भी written complaint अपने शहर में या पास के cyber crime cell में जहाँ आप रहते हैं.

IT Act के अनुसार, एक cyber crime global jurisdiction के अंतर्गत आता है. इसका मतलब है की आप एक cyber crime complaint को भारत के किसी भी cyber cells में कर सकते हैं. इसके लिए आपको कहीं specifically जाने के जरुरत नहीं होती है. अभी भारत में प्राय सभी बड़े शहरों में dedicated cyber crime cell खुल चुके हैं.

2.   कैसे Register करें एक Cyber Crime FIR: अगर आपके शहर में कोई भी cyber cell नहीं है, तब आप एक First Information Report (FIR) भी किसी एक local police station में दर्ज कर सकते हैं. अगर आपके complaint को accept नहीं किया गया, तब आप Commissioner को भी approach कर सकते हैं या city के Judicial Magistrate को.

Note Section 154 के अंतर्गत ये compulsory है की, Code of Criminal Procedure में, किसी भी offense होने पर कोई भी police officer के लिए ये compulsory है को उन्हें victim की complaint को register करना होता है, चाहे वो कोई भी प्रकार का crime क्यूँ न हो. ऐसे में कोई भी police officer complaint register करने से मना नहीं कर सकता.
Uttar Pradesh Cyber Crime Cell

Website: https://uppolice.gov.in

Page — https://uppolice.gov.in/article/en/cyber-crime

Website: https://cybercrime.gov.in/

https://www.cyberswachhtakendra.gov.in/

Email:  incident@cert-in.org.in

Help Line– 155260

Toll Free Phone: +91-1800-11-4949

Women Power Line Toll Free Numbers:– 1090

Child Help Line– 1098

Cyber security in Banking–

डेटा चोरी इस समय एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। उसमें भी अगर डेटा बैंकिंग से जुड़ा हो, तो इससे काफी बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं।

आइए जानते हैं कि एक कार्डधारक को किन-किन बातों का खयाल रखना चाहिए-

  1.     बैंक कार्डधारक को कभी भी अपने क्रेडिट, डेबिट कार्ड की फोटो को कहीं पर पोस्ट नहीं करना चाहिए।
  2.     कार्डधारक को अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन केवल सुरक्षित और विश्वसनीय वेबसाइट (https:) पर ही करना चाहिए।
  3.     कार्डधारक को ऑनलाइन कार्ड की डिटेल डालते समय ऑटोफिल को डिसेबल रखना चाहिए और समय-समय पर वेब ब्राउज़र की कैशे मेमोरी डिलीट करते रहना चाहिए।
  4.     कार्डधारक को अपना कार्ड कभी भी वेबसाइट पर सेव करके नहीं रखना चाहिए।
  5.     याद रखें कि पब्लिक और फ्री वाई-फाई इंटरनेट का प्रयोग करते समय अपने बैंक कार्ड की डिटेल नहीं डालें।
  6.     ग्राहक को फिशिंग ई-मेल और फर्जी फोन कॉल्स को लेकर सचेत रहना चाहिए। ध्यान रखें कि कोई भी बैंक, वेबसाइट या इंश्योरेंस कंपनी आपके क्रेडिट-डेबिट कार्ड की डिटेल या सीवीवी नहीं मांगती है।


 


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